अगर हम मूक दर्शक
मात्र है फिर हमें किसी भी घटना के बारे में आलोचना करने का कोई हक नहीं है ।।
( हरियाणा में उन
दो लड़किओं ने अगर लड़कों को बेवजह ही पिट रही थी तब उस बस के पब्लिक क्यों मूक
दर्शक बने खड़े रहे ? और अब हम सब सही
गलत का मज़े से आलोचना कर रहे है । किसी के जीवन में घटी घटना को हमने रियलिटी शो
बना दिया । एकबार सोचिये यदि यह मामला अगर परिकल्पना कर के भी किया गया तो हमारे
देश में बिना परिकल्पना किये कितनी लड़कियां प्रतारीत मानसिक और शारीरिक रूप से
अत्याचार की शिकार होती है । और हम सिर्फ दो लड़कों के पीटने पर इतना सस्कार,
जायज़ और कानून की बात क्यूँ कर रहे है !! ) --
लिली कर्मकार
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